माँ मनसा माता उदयपुरवाटी | Amazing Miracle Mandir, Mansa Mata Udaipurwati | हर मनसा पूर्ण

माँ मनसा माता उदयपुरवाटी हिंदू धर्म में अनेक देवी देवताओं को पूजा जाता हैं जिसमें से एक है मनसा माता। देवी मनसा को भगवान शंकर की पुत्री के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि मां मनसा की शरण में आने वालों का कल्याण होता है। मां की …

माँ मनसा माता उदयपुरवाटी

हिंदू धर्म में अनेक देवी देवताओं को पूजा जाता हैं जिसमें से एक है मनसा माता। देवी मनसा को भगवान शंकर की पुत्री के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि मां मनसा की शरण में आने वालों का कल्याण होता है।

मां की भक्ति से अपार सुख मिलते हैं। ग्रंथों के मुताबिक मनसा मां की शादी जगत्कारू से हुई थी और इनके पुत्र का नाम आस्तिक था। माता मनसा को नागो के राजा नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है।

माँ मनसा देवी के मंदिर का इतिहास बड़ा ही प्रभावशाली है। उदयपुरवाटी  (शेखावाटी) तहसील मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर खोह- गुड़ा ग्राम के पहाड़ो में मनसा माता  पीठ स्थित है |

मनसा देवी का मंदिर जीवन के तामझाम व कोलाहल से दूर प्रकृति माँ की गोद में “खोह“ से लगभग 5 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में गगन चुंबी पर्वत श्रंखलाओं की गोद में विराजमान है | नवरात्रों में मां के दरबार में हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

यहां लोग माता से अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि माता मनसा देवी से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती है।

मनसा माता उदयपुरवाटी
मनसा माता पिण्डी दर्शन

माँ मनसा माता उदयपुरवाटी की प्रकट कथा 

माँ के प्राकट्य के बारे में बताते है की लगभग 500 साल पूर्व से यहाँ पर लोगों का आगमन शुरू हुआ, पूर्व में यहाँ पहाड़ों में गडरिये पशुओं को चराते थे| ये क्षेत्र जंगल की लकड़ी व् पशुओं के चारे का उत्तम चारागाह था|

कहते है कि एक दिन एक गडरिये के सामने माँ साक्षात् प्रकट होकर बोली “में यहाँ पर प्रकट होउंगी, इसलिए तुम डरना मत”! भीषण गर्जना के साथ पहाड़ों को चिर कर माँ का स्वरूप निकलने लगा| गडरिया डर के मारे चिल्लाने लग गया।

जिसके फलस्वरूप मनसा का आकर छोटा रह गया, पहाड़ी की कंदराओं के बीच में अंगुली के आकर में माँ की ममतामयी मूर्ति है|

मनसा माता उदयपुरवाटी
श्री मनसा माता प्रवेश द्वार ( खोह )

Mansa Mata चमत्कार

इतना भीषण जंगल होते हुए भी आज तक किसी भी भक्त के साथ किसी अप्रिये घटना का घटित नहीं होना माता का चमत्कार ही है| शेखावाटी के प्रवासी लक्ष्मी पुत्र अपने बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए जब भी अपने पैत्रक गाँव आते है।

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तो माँ के दरबार में बच्चों व् नवविवाहित जोड़ों की धोक लगाते है,”मनसा सेवा समिति” के नाम से संस्था बनी हुई जिसमें इनका योगदान है| “सेवा समिति” यहाँ की व्यवस्थाओं का संचालन करती है |

श्री सतपाल सिंह शेखावत पूर्व सरपंच गुड़ा ने अथक परिश्रम करके यहाँ के दुर्गम रास्तों,कुंडो का निर्माण,जल व्यवस्था आदि को पूर्णतया समर्पित भाव से स्वयं उपस्तिथ रहकर पूर्ण करवाया है |उनके इस कार्य की जितनी सराहना की जाय कम है |

यहाँ पर पानी के समुचित प्रबंध के लिए दो विशाल बाँधों का निर्माण भी हुआ है,जिससे साल भर पीने के पानी के रूप में काम लिया जाता है, यहाँ के पहाड़ों में औषधियों के भंडार है, जड़ी बूटियों के जानकर वैध रोगों के निदान में इनका उपयोग करतें है।

कैसे पहुँचे माँ मनसा माता उदयपुरवाटी के धाम

माँ मनसा के दरबार में आने का सबसे उपयुक्त समय सावन-भादवा है,यंहा पर पहुँचने के लिए सीधी उदयपुरवाटी व् गुढा से निजी बस सेवा उपलब्ध है| उदयपुरवाटी राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में सीकर,नीमकाथाना,कोटपुतली सड़क पर स्थित है|

मनसा माता उदयपुरवाटी

कहतें है यहाँ पर स्थाई रूप से जो भी रहने की कोशिश करता है,उसे कुछ ऐसे संकेत मिल जाते है, जिससे कुछ दिनों बाद इस पवित्र स्थान को स्वतः ही छोड़ना पड़ता है।

क्योंकि जिस अभीष्ट की प्राप्ति के लिए साधक यंहा पर आता है उसकी प्राप्ति शीघ्र ही उसे हो जाती है,तो भला वह क्यों रुकेगा? मंदिर के गर्भ गृह के पास “लान्कड़ बाबा”(भेरू मंदिर)स्थित है|

जिनके दर्शन के बिना माँ के दर्शन का कोई फलाशिर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता |अत: यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालु बाबा लान्कड़ के मंदिर में भी अनिवार्य रूप से शीश नवाते है | सरल व् घुमावदार रहस्यमयी चढ़ाई पर चढ़ते हुए यात्री की उत्सुकता बढती जाती है| एवं थकान का अहसास भी नहीं होता है |

जय माँ मनसा माता उदयपुरवाटी

दो पहाड़ों के बीच में एक दर्रानुमा मार्ग से माँ ‘मनसा माई की जय ” के जयकारे लगाते हुए हुए भक्त माँ के दरबार में शीश नवाते है, चारों तरफ हरियाली से आच्छादित पेड़ व् सकरे दर्रे में से कलकल बहता शीतल जल का झरना बरबस ही आने वालों का मन मोह लेता है।

विगत सालों में माँ के भवन निर्माण एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ है, यहाँ पर माँ के प्रसाद बनाने का पूरा साजो सामान उपलब्ध है, लोग अपनी मांगी मुराद पूरी होने पर यहाँ आकर ‘सवामनी”( दाल-चूरमा ) का भोग लगाते है, प्राकृतिक रूप से बहने वाले शीतल जल के झरने द्वारा बनाया हुआ परसाद सुपाच्य व् सवादिष्ट बनता है|

सभी मित्रों से निवेदन हे की एक बार माँ मनसा के पवित्र स्थल के दर्शन हेतु जरुर पधारे, भक्त यहाँ तक बस द्वारा पहुच सकते हे जयपुर से यहाँ के लिए दिन में 4 बस सेवा हे, सीकर से भी सीधे यहाँ बस सेवा हे, आप  झुझुनू , उदयपुरवाटी, नीमका थाना, और दिल्ली से  भी मनसा माता मंदिर पहुच  सकते हे |

नवरात्रा में यहाँ हर वर्ष मेला भरता हे और हजारों जातरू पुरे नवरात्रा में माँ  के दरबार की पूजा अर्चना करते हे | अगर पोस्ट पसंद आई तो शेयर जरुर करे ! जय माँ मनसा …..

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Vijay Singh Rathore

मैं Vijay Singh Rathore, Karni Times Network का Founder हूँ। Education की बात करूँ तो मैंने MA तक की पढ़ाई की है । मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है। 2015 से मैं ब्लॉगिंग कर रहा हूँ। खाली समय में मुझे किताबें पढना बहुत पसंद है। For Contact : vijaysingh@karnitimes.com