भारत की 5 राजपूत वीरांगनाएं जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए । Top Rajput Veerangna in Indian history

Top Rajput Veerangna in Indian History | वैसे तो भारत में सैकड़ों वीर एवम् वीरांगनाएं हुई है, जिन्होंने वीरता और शौर्य के बल पर अपने दुश्मनों को धूल चटाई है, पर बात करे भारत की कुछ विशेष वीरांगनाओं की जिनकी कहानी पढ़कर मुर्दों में भी प्राण आ जाते है । …

Top Rajput Veerangna in Indian History | वैसे तो भारत में सैकड़ों वीर एवम् वीरांगनाएं हुई है, जिन्होंने वीरता और शौर्य के बल पर अपने दुश्मनों को धूल चटाई है, पर बात करे भारत की कुछ विशेष वीरांगनाओं की जिनकी कहानी पढ़कर मुर्दों में भी प्राण आ जाते है । आज की इस पोस्ट में हम आपको भारत की 10 ऐसी वीरांगनाओं से जुड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहे है, जिनका इतिहास हर एक बच्चे बूढ़े को पता होना चाहिए।

आज की Top Rajput Veerangna List पोस्ट में हम पूर्ण प्रयास करेंगे भारत की उन महान वीरांगनाओं के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालने की । अतः आपसे विनती है इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े:-

रानी पद्मावती

राजस्थान को वीरों और वीरांगनाओं की जन्मभूमि कहां जाता है, राजस्थान की मेवाड़ रियासत का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है । मेवाड़ के रावल रतनसिंह जी की रानी पद्मावती का नाम भी भारतीय इतिहास में आदर और सम्मान से लिया जाता है । रानी पद्मिनी पूरे विश्व में अपनी सुन्दरता के लिए भी प्रसिद्ध है, किंतु रानी पद्मावत जितनी सुंदर थी उतनी ही तेजस्वी और आत्मसम्मान और मातृभूमि की रक्षा हेतु समर्पित थी ।

रानी पद्मावती का इतिहास | Top Rajput Veerangna in Indian history
रानी पद्मावती का इतिहास

रानी पद्मिनी की सुंदरता को देखने के लिए जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ की घेराबंदी की थी, और मेवाड़ के रावल रतनसिंह जी ने किले में मौजूद सभी क्षत्रियों के साथ केसरिया धारण कर अंतिम युद्ध शाका किया था । तब किले की बागडोर Rani Padmawati ने संभाली थी, और जब उनको पता चला की मेवाड़ की सेना पराजय हुई है, और लुटेरा खिलजी किले की ओर बड़ रहा है । तब रानी पद्मिनी ने किले में मौजूद 16000 वीरांगनाओं के साथ मिलकर अपने आत्मसम्मान की रक्षा हेतु अग्नि स्नान ( जौहर ) किया था, ताकि खिलजी उनके मृत शरीर तक को ना छू सके । कोटि है जौहर की ज्वाला में अपना सबकुछ न्योछावर करने वाली वीरांगनाओं को ।

रानी दुर्गावती

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कालिंजर के शासक कीर्तिसिंह चंदेल के घर जन्मी रानी दुर्गावती का नाम गोड़वाना के इतिहास में गौरव से लिया जाता है । रानी दुर्गावती जी का विवाह उनके पड़ोसी राज्य गढ़ा मंडला के शासक दलपतशाह से हुआ था ।

रानी दुर्गावती का इतिहास | भारत की सबसे प्रमुख वीरांगनाएं  | Top Rajput Veerangna in Indian history
रानी दुर्गावती

विवाह के कुछ वर्षो पश्चात दलपतशाह की किसी कारणवश मृत्यु हो गई, किंतु रानी ने हिम्मत नही हारी और अपने 3 वर्षीय राजकुमार नारायण सिंह को सिंहासन पर बैठाकर राज्य को अपने हाथों में ले लिया । दूसरी तरफ भारत के बादशाह अकबर ने मौका सही समझकर गोड़वाना पर आक्रमण कर दिया ।

इस युद्ध में रानी दुर्गावती ने भीषण युद्ध किया और राज्य की रक्षा की । ज्ञात तथ्यों के अनुसार रानी दुर्गावती जी ने अपने जीवन में 52 युद्ध लड़े थे, जिनमे से उन्होंने 51 युद्धों में विजय प्राप्त की थी ।

हाड़ी रानी

जब-जब मातृभूमि की रक्षा हेतु अपना कर्तव्य निभाने की बात आती है, तब-तब वीरांगनाओं ने आगे बढ़कर अपना कर्तव्य निभाया है । ऐसी ही एक वीरांगना थी बूंदी के शासक भावसिंह हाड़ा की पौत्री सलेह कंवर यानी हाड़ी रानी क्षत्राणि, जिनका विवाह मेवाड़ रियासत के सलूंबर के शासक रतनसिंह चुंडावत जी से हुआ था ।

हाड़ी रानी का इतिहास | भारतीय वीरांगनाएं | Top Rajput Veerangna in Indian history
हाड़ी रानी क्षत्राणि

किंतु समय को कुछ और ही मंजूर था, विवाह के सात दिन बाद ही उनके पति रतन सिंह जी चुंडावत को युद्ध में जाना पड़ा था । युद्ध की और निकलते राजा ने नवविवाहिता रानी के मोह में आकर अपने सैनिक को कहा की जाओ और रानी से उनकी कोई निशानी ले आओ ।

जब सैनिक हाड़ी रानी के पास उनकी निशानी लेने पहुंचा तो रानी को अहसास हो गया की उनके पति मेरे मोह को त्याग नही पा रहे है, और उनका अपने राष्ट्र धर्म को निभाना कठिन हो रहा है तो हाड़ी रानी ने अपना राष्ट्रधर्म निभाया और सैनिक को निशानी के तौर पर अपना सर काटकर राजा के पास भिजवा दिया । ताकि राजा बिना मोह के अपना कर्तव्य निभा सके ।

राजकुमारी रत्नावती

राजस्थान के पश्चिमी सीमांत क्षेत्र में जैसलमेर रियासत पर यदुवंशी क्षत्रिय भाटी वंश का शासन रहा है, भटियो को भारत का उत्तर सीमा का प्रहरी कहा जाता है, इसी भाटी वंश में रावल रत्नसिंह जी भाटी के घर जन्म हुआ था राजकुमारी रत्नावती जी का ।

राजकुमारी रत्नावती का इतिहास | राजपूत वीरांगनाएं
राजकुमारी रत्नावती

जैसलमेर पर जब दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया था, तब रावल रतनसिंह जी सही सभी सामंत और सरदारों ने युद्ध किया । इस दौरान किले की जिम्मेदारी राजकुमारी रत्नावती को सौंपी गई थी, किंतु युद्ध में जब राजकुमारी ने देखा की खिलजी सेनापति मलिक काफुर किले की ओर बढ़ रहा है । तब राजकुमारी ने सैनिक वस्त्र धारण किए और सेना लेकर उसके सामने जा भिड़ी । इस युद्ध में राजकुमारी ने मलिक काफूर सहित 100 खिलजी सैनिकों को बंदी बना लिया ।

जब अलाउद्दीन को इस बात का पता चला की उसका सेनापति बंदी बना लिया गया है, तो उसने किले का घेराव कर लिया । किंतु महीनों के घेराव के बाद खिलजी ने हार मान ली और संधि प्रस्ताव भेज दिया । संधि के बाद मलिक काफुर ने अपने बादशाह को रोते हुवे कहां की बादशाह “यह राजकुमारी कोई साधारण लड़की नही है, यह वीरांगना के साथ देवी भी है । किले में खाने के लिए अनाज तक नहीं बचा था, किंतु इन्होंने खुद भूखा रहकर हमारे सैनिकों का पेट भरा है। यह पूजा करने योग्य है और आदरणीय है।”

रानी बाघेली

मारवाड़ रियासत के ठिकाने बलूंदा के शासक मोहकमसिंह की की पत्नी का नाम था रानी बाघेली ! जिनका बलिदान भी माता पन्नाधाय से कही भी स्तर पर कम नहीं था ।

रानी बाघेली का इतिहास | Rani Bagheli Veerangna in Indian history
रानी बाघेली

उस समय औरंगजेब अपनी पूर्ण इस्लामीकरण की नीति को लेकर समस्त भारत में अत्याचार कर रहा था, इसी दौरान उसकी नजर मारवाड़ रियासत पर पड़ी । मारवाड़ में उस वक्त राजा जसवंतसिंह जी का शासन था, वह सैनिक अभियान के तहत अफगानिस्तान गए हुए थे । इस मौके का फायदा उठाकर औरंगजेब ने जोधपुर पर आक्रमण कर दिया, और मारवाड़ पर अपना कब्जा कर लिया ।

औरंगजेब को जब पता चला की किले में रानी और उनका नन्हा राजकुमार भावी मारवाड़ का राजा है, तो उसने सैनिकों को राजकुमार अजीतसिंह को मारने के लिए भेज दिया । किंतु उस वक्त वीर दुर्गादास राठौड़ जी ने सामंत मोहकमसिंह जी को संकेत दे दिया की हमारे साथ बहुत बड़ी दुर्घटना होने वाली है ।

जब इस बात का पता मोहकमसिंह जी की पत्नी रानी बाघेली को पता लगा तो उन्होंने बिना संकोच अपनी छः महीने की राजकुमारी को अजीतसिंह जी के साथ बदल दिया । मुगल सैनिकों को छल का पता नही लगा और उन्होंने राजकुमार की जगह राजकुमारी की हत्या कर दी ।

दूसरी तरफ रानी बाघेली ने सुरक्षित राजकुमार अजीतसिंहजी को किले से बाहर निकाल दिया, इस तरह मारवाड़ का भविष्य रानी बाघेली ने अपनी पुत्री का बलिदान देकर सुरक्षित किया । किंतु दुर्भाग्य देखिए आज भी उनके इस बलिदान को बहुत कम लोग जान पाए है ।

FAQ’s About Top Rajput Veerangna in Indian History

भारत की सबसे बहादुर महिला कौन है?

भारत जैसे विशाल देश में सैकड़ों बहादुर महिलाएं हुई है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु प्राण न्योछावर किए है । जैसे :- रानी लक्ष्मीबाई, रानी पद्मावती जी और रानी दुर्गावती जी आदि । इसलिए इस सवाल का जवाब कठिन है की कौन भारत की सबसे बहादुर महिला थी ।

भारतीय इतिहास में सबसे सुंदर रानी कौन थी?

इतिहास पर नजर डाले तो बहुत सी सुंदर रानियां हुई है, किंतु मेवाड़ के रावल रतनसिंह जी की रानी पद्मावती जी को सबसे सुंदर माना गया है ।

कुतुबुद्दीन ऐबक को पराजित करने वाली मेवाड़ की वीरांगना कौन थी?

मेवाड़ का इतिहास अगर हटा दिया जाए तो भारत के इतिहास से शौर्य की पराकाष्ठा ही खत्म हो जाएगी, कुतुबुद्दीन ऐबक ने जब मेवाड़ पर अपनी नजर दिखाई तब रानी कर्णावती ने उसको परजीत किया था ।

राजस्थान की रूठी रानी कौन थी?

मारवाड़ के शासक राव मालदेव की रानी उमादे भटियाणी जी को रूठी रानी के नाम से भी जाना जाता है ।

निष्कर्ष :- क्या जाना राजपूत वीरांगनाओं के विषय में?

हमें आशा है आज की Top Rajput Veerangna in Indian History लेख में दी गई सम्पूर्ण जानकारी आपकों पसंद आई होगी । करणी टाइम्स पर हम इसी प्रकार की जानकारी समय-समय पर लाते रहते है, इसलिए आपसे विनती है कि हमारे WhatsApp Chennal से जरूर जुड़े ताकि आपको हमेशा ताजा जानकारी प्राप्त होती रहे ।

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Vijay Singh Rathore

मैं Vijay Singh Rathore, Karni Times Network का Founder हूँ। Education की बात करूँ तो मैंने MA तक की पढ़ाई की है । मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है। 2015 से मैं ब्लॉगिंग कर रहा हूँ। खाली समय में मुझे किताबें पढना बहुत पसंद है। For Contact : vijaysingh@karnitimes.com